देहरादून: इंडियन स्पेश रिसर्च ऑगनाइजेशन (ISRO) 2024 में गगनयान मिशन को लांच करने जा रहा है। यह भारत के इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण घटना होगी। इसके जरिए भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा जो अपने ही अंतरिक्ष यान के जरिए अपने नागरिकों को अंतरिक्ष तक पहुंचा देगा। भारत से पहले अमेरिका, रूस व चीन अपने नागरिकों को अंतरिक्ष में पहुंचा चुका है। पर इस उपलब्धि को हासिल करने में कोरोना एक बड़ी समस्या बना जिस कारण भारत का गगनयान मिशन करीब तीन साल डील हो गया। गगनयान के जरिए तीन या चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में पहली बार जायेंगे और सात दिन वहीं रहेंगे।
साल 2006 में जब गगनयान मिशन की शूरूआत हुई। गगनयान स्पेस्क्राफ्ट दो मोड्युल्स से मिलकर बना है जिसमें पहला मोड्युल क्रू मोड्यूल है तो दूसरा सर्बिस मोड्युल इन्हीं दोनों मोड्युल्स को जोड़कर एक कैप्सूल बनता है जो कि एक विशालकाय राकेट में फिट किया जाता है। क्रू मोड्युल में क्रू मेंबर्स यानि अंतरिक्ष यात्री रूकते हैं। अंतरिक्ष यान से जुड़े डिजाइन व बारीकियों को पूरा करने में काफी समय लगा। 2013 में इसे फाइनल किया गया साल 2014 में सबसे पहले इसके क्रू मोड्य़ुल की ऐटोमस्फेरिक री ऐंटरी ऐक्सपिरेमेंट की टेस्टिंग की गई
2019 तक भारत में ट्रेनिंग करने के बाद चार अंतरिक्ष यात्री चुने गये और उन्हें फिर रूस में एक साल के लिए एडवांस ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। जहां उन्होंने अलग-अलग दबाव व वातावरण में लैंडिग के तरीकों को समझा। जंगल, नदी और समुद्र में लैंडिग कैसे करनी है इसपर भी जोर दिया गया। ये सभी काम 2021 फरवरी तक पूरे हो गए। गगनयान फिर से अपनी उड़ान भरने के लिए तैयार हुआ पर इस बार कोरोना के कारण चिप की कमी और लॉकडाउन के कारण मिश्न में बाधा उत्पन्न हुई। साल 2022 में इसका पहला मानव मिशन करना था पर अब ये खिसककर साल 2024 के पहले तीन महीनों में शिफ्ट हो गया है। लगभग 2 सालों का अतिरिक्त समय हमें कई चीजों को और बहतर बनाने के लिए मदद भी कर रहा है।
पृथ्वी से 300 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा करेगा यान
गगनयान के जरिए भारतीय अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की सतह से करीब 300 से 400 किमी उपर निचले अंतरिक्ष की सीमा पर चक्कर काटेंगे। सात दिन बिताने के बाद गगनयान का ओरबिटल मोड्युल वापिस पृथ्वी की सतह पर उतर जाएगा। जैसे ही इसकी पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश होगा सर्बिस मोड्युल क्रू मोड्युल से दूर हो जाएगा। फिर क्रू मॉडलूल में बैठे यात्री बहुत तेज गति से पृथ्वी की ओर आएंगे। यह यात्री या तो अरब सागर या फिर बंगाल की खाडी के समुद्र में उतरेंगे। मोड्युल के सेंसर भारतीय नौसेना को लोकेशन के कोर्डिनेट के जरिए अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित तरीके से निकाल लाएगे।