देहरादून। उत्तराखंड में फिर से बड़ा हादसा हुआ है। चमोली जिले में बुधवार सुबह साढ़े दस बजे गोविंदघाट के पास अचानक पहाड़ी से बड़ी चट्टान टूट गई। जो सीधे श्री हेमकुट साहिब को जोड़ने वाले पुल के ऊपर गिर गई। जिसमें बिहार के बेतिया निवासी मजदूर जोगिंदर शर्मा 32 पुत्र पारस, निवासी सुदामानगर की मौत हो गई है। यह पेंटर था जो पुलना से गोविंद घाटी की तरफ जा रहा था। एनडीआरएफ ने शव बरामद कर लिया है। हादसे में पुल बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया।
जिससे श्री हेमकुंट साहिब व फूलों की घाटी जाने का मार्ग बंद हो गया। श्री हेमकुंट साहिब के कपाट 25 मई को खुलने हैं। ऐसे में प्रशासन के लिए यात्रा से पहले इस पुल को ठीक करना बड़ी चुनौती होगी। क्योंकि यहां हर साल लाखों की संख्या में सिख् श्रद्धालु पहुंचते हैं। पुल क्षतिग्रस्त होने के कारण अलकनंदा नदी के उस पार मौजूद पुलना गांव पर भी संकट है। गांव में 250 से अधिक की आबादी है। पुल के टूटने के कारण इन लोगों का भी संपर्क चमोली जिले से टूट गया है। जिलाधिकारी चमोली डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि यात्रा से पहले एक स्थायी पुल बनाने का प्रयास होगा। जिसके लिए इंजीनियरों की टीम को मौके पर भेज दिया गया है।
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उत्तराखंड में फिर से एवलांच का अलर्ट
चमोली जिले में हिमस्खलन का खतरा बरकरार है। मौसम विभाग ने आठ मार्च से मौसम में बदलाव के संकेत दिए हैं। चमोली जिले में इससे पहले मंगलवार को भी मौसम खराब रहा। बदरीनाथ धाम, हेमकुंड साहिब सहित ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हुई जबकि निचले क्षेत्रों में बारिश हुई। इससे जिले में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। बदरीनाथ धाम में अधिकतम तापमान माइनस आठ और न्यूनतम तापमान माइनस तीन, ज्योतिर्मठ में अधिकतम तापमान चार और न्यूनतम तापमान माइनस एक, औली में अधिकतम तीन और न्यूनतम माइनस दो रहा। तापमान में आई गिरावट से लोग दिनभर अपने घरों में दुबके रहे।
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माणा एवलांच की जांच को कमेटी बनाई
जिलाधिकारी चमेाली डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि माणा में एवलांच की घटना के लिए जांच कमेटी बनाई गई है। कमेटी इस घटना के कारणों की जांच करेगी। चमोली के सामाजिक कार्यकर्ता अतुल सती ने मांग उठाते हुए कहा कि सर्दियों में बदरीनाथ में सारे निर्माण कार्य बंद रहते हैं। यहां सुरक्षा कर्मियों के सिवा अन्य कोई नहीं जाता। उसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में मजदूर वहां क्यों ठहराए गए थे। इस बारे में भी जांच की जानी चाहिए। इतनी अधिक बर्फबारी के बावजूद मजदूरों को वहां से क्यों नहीं हटाया गया यह भी जांच का विषय है।