देहरादून: उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति चिंताजनक है। प्रसव सुविधाओं में कमी के कारण गर्भवती महिलाओं और नवजातों की मौतें की खबरें आम हैं। सुविधाओं में सुधार के बजाए, उत्तराखंड सरकार स्वास्थ्य केंद्रों का नाम बदल रही है। प्रदेश के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का नाम बदल दिया गया है। इन्हें अब आयुष्मान आरोग्य मंदिर uttarakhand-aayushman-arogya-mandir कहा जाएगा। उत्तराखंड में कुल 526 टाइप-ए और 52 बी-टाइप प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, और इन सभी के नाम बदलने का कार्य विधायित है। हालांकि, स्वास्थ्य केंद्रों के नाम बदलने के अलावा, अब तक कोई नई सुविधा नहीं जोड़ी गई है।
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प्रसव के दौरान मौत अधिक
भारत के अधिकतर राज्यों में मातृ-मृत्यु दर में कमी है। पर उत्तराखंड में यह काफी अधिक है। उत्तराखंड में प्रसव के दौरान हुई करीब 21 प्रतिशत मौतें उत्तराखंड की जनसंख्या में कुल 35 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले देहरादून और हरिद्वार जिले में हुई है। वर्ष 2016-17 से 2020-21 के बीच प्रसव के दौरान सबसे अधिक 230 महिलाओं की मौत हरिद्वार जिले में हुई है। पांच सालों में नैनीताल जिले में सबसे ज्यादा 910 नवजातों ने दम तोड़ा है। राज्य की जनसंख्या में करीब 20 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले चंपावत, पिथौरागढ़, पौड़ी गढ़वाल, उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग जिले में भी स्थिति ठीक नहीं। uttarakhand-aayushman-arogya-mandir