देहरादून: उत्तराखंड में अभी मॉनसून आधिकारिक रूप से पहुंचा भी नहीं है, लेकिन मौसम का मिजाज पहले ही खतरे का संकेत देने लगा है। लगातार हो रही बारिश के चलते पहाड़ों में भूस्खलन और पत्थर गिरने की घटनाएं तेज हो गई हैं। ये घटनाएं साफ तौर पर आने वाले दिनों की चेतावनी हैं कि पहाड़ों में सफर अब पहले से ज्यादा सतर्कता की मांग करता है।
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गुरुवार को रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुंड के पास एक बड़ा हादसा हो गया। यहां पहाड़ी से भारी मलबा एक वाहन पर आ गिरा, जिससे दो लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए। यह वाहन छत्तीसगढ़ से आए तीर्थयात्रियों को लेकर केदारनाथ जा रहा था। मृतकों में 38 वर्षीय राजेश सिंह रावत शामिल हैं, जो टिहरी गढ़वाल जिले के लंबगांव निवासी थे। वे युवाओं के एक समूह को केदारनाथ धाम ले जा रहे थे।
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घटना के तुरंत बाद एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंचीं और बचाव कार्य शुरू किया। घायलों को अगस्त्यमुनि अस्पताल ले जाया गया, जहां दो की हालत गंभीर बताई जा रही है। घायलों की उम्र 19 से 25 वर्ष के बीच है और सभी चिकित्सकीय देखरेख में हैं।
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जून में बारिश की चेतावनी
मौजूदा मौसम हालात बेहद अस्थिर हैं। मानसून आने से पहले ही जो हालात हैं, वे किसी बड़े खतरे का पूर्वाभास देते हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के वैज्ञानिक कृष्ण मिश्रा के अनुसार, “31 मई और 1 जून को हिमाचल प्रदेश में और 30, 31 मई व 1 जून को उत्तराखंड में तेज बारिश और हवाएं चल सकती हैं। ऐसे में यात्रा से बचना ही सुरक्षित विकल्प है।”
प्रशासन ने चारधाम यात्रा पर निकले श्रद्धालुओं और पर्यटकों से अपील की है कि वे मौसम की ताजा जानकारी लेते रहें और सरकारी चेतावनियों का पालन करें। हर साल मानसून के समय उत्तराखंड के पहाड़ी रास्ते खतरनाक हो जाते हैं। ऐसे में यह वक्त है जब हम सावधानी और सजगता को अपनी यात्रा का हिस्सा बनाएं। ये घटनाएं सिर्फ हादसे नहीं, बल्कि प्रकृति की ओर से समय रहते दी गई चेतावनियां हैं – जिन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।