नैनीताल: Uttarakhand News. उत्तराखंड विधानसभा में अपात्र व करीबियों को नौकरी देने के मामले में सरकार द्वारा कोई कार्रवाई न होने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर सरकार को बैकडोर भर्तियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। अगली सुनवाई अब 16 जुलाई को होगी। vidhansabha backdoor recrutment.
मामले के अनुसार, देहरादून निवासी अभिनव थापन ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें विधानसभा में नियम विरुद्ध बैकडोर से हुई भर्तियों को निरस्त करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया कि साल 2000 के बाद की भर्तियां गलत तरीके से हुई हैं, इसलिए इन्हें निरस्त किया जाए। हाईकोर्ट के आदेश के बाद 2016 के बाद हुई भर्तियों को निरस्त कर दिया गया था, लेकिन इससे पहले की भर्तियों को निरस्त नहीं किया गया था। इस पर हाईकोर्ट ने फरवरी 2024 में सरकार को आदेश दिए थे कि 2000 से 2022 तक की बैकडोर भर्तियां, जो बिना नियमों के की गई हैं, उन्हें निरस्त किया जाए। परंतु सरकार ने अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए जवाब दाखिल करने को कहा है।
अफसरों, नेताओं पर भी कार्रवाई हो
याचिकाकर्ता अभिनव थापन का कहना है कि गलत प्रक्रिया से नौकरी देने वाले अफसरों, विधानसभा अध्यक्षों व मुख्यमंत्रियों से भ्रष्टाचारियों द्वारा लूटा गया सरकारी धन वसूला जाए। युवाओं की नौकरियों की लूट करवाने वाले माननीयों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो। सरकार ने पक्षपातपूर्ण कार्य कर अपने करीबियों को नियमों को दरकिनार करते हुए नौकरियां दी हैं, जिससे प्रदेश के लाखों बेरोजगार व शिक्षित युवाओं के साथ धोखा हुआ है। यह सरकारों द्वारा किया गया जघन्य किस्म का भ्रष्टाचार है।